Anuj Chaudhary promotion: उत्तर प्रदेश पुलिस सेवा के एक चर्चित नाम अनुज चौधरी एक बार फिर सुर्खियों में हैं, लेकिन इस बार वजह किसी विवादित बयान या कार्रवाई की नहीं, बल्कि प्रमोशन की है। 2012 बैच के पीपीएस अधिकारी और अर्जुन पुरस्कार विजेता अनुज चौधरी को जल्द ही अपर पुलिस अधीक्षक (ASP) के पद पर पदोन्नत किया जा सकता है।
सूत्रों के अनुसार, पुलिस विभाग ने जिन 19 अधिकारियों के नाम पदोन्नति के लिए मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को भेजे हैं, उनमें अनुज चौधरी का नाम भी शामिल है। लेकिन इस प्रक्रिया पर अब सवाल खड़े हो रहे हैं, क्योंकि उनके खिलाफ मानवाधिकार उल्लंघन जैसे गंभीर आरोपों की जांच अभी तक लंबित है।
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मानवाधिकार उल्लंघन और सांप्रदायिक भेदभाव के आरोप
इलाहाबाद हाईकोर्ट के वकील डॉ. गजेंद्र सिंह यादव ने राज्य मानवाधिकार आयोग में अनुज चौधरी के खिलाफ दो अलग-अलग शिकायतें दर्ज कराई हैं। पहली शिकायत संभल में हुई हिंसा के दौरान हुई चार संदिग्ध मौतों को लेकर है, जिनमें पुलिस की भूमिका पर गंभीर सवाल उठाए गए हैं। दूसरी शिकायत में आरोप है कि अनुज चौधरी ने वर्दी में रहते हुए सार्वजनिक रूप से धार्मिक रीति-रिवाजों का पालन किया, जो एक सरकारी अधिकारी की निष्पक्षता पर सवाल उठाता है।
यूपी में 19 डिप्टी एसपी को प्रमोशन, जाने संभल वाले अनुज चौधरी का क्या हुआ?
दोनों ही मामलों में आयोग ने संज्ञान लिया है और जांच जारी है, लेकिन अभी तक कोई स्पष्ट निष्कर्ष सामने नहीं आया है। जांच अधूरी, फिर भी प्रमोशन प्रक्रिया अंतिम चरण में सबसे हैरान करने वाली बात यह है कि इन गंभीर जांचों के लंबित रहते हुए भी अनुज चौधरी की पदोन्नति प्रक्रिया लगभग पूरी हो चुकी है। डीपीसी (विभागीय पदोन्नति समिति) की बैठक में उनके नाम पर सहमति बन चुकी है और अब बस मुख्यमंत्री की मंज़ूरी बाकी है। इसने प्रशासनिक निर्णयों की पारदर्शिता और न्यायिक प्रक्रिया की प्राथमिकता पर सवाल खड़े कर दिए हैं। Anuj Chaudhary promotion
पुराने विवाद भी बने चर्चा का विषय
अनुज चौधरी पहले भी अपने बयानों और कार्यशैली को लेकर विवादों में रहे हैं। संभल हिंसा के बाद जब होली और शुक्रवार एक साथ पड़े थे, तो उन्होंने कहा था,”होली साल में एक बार आती है, शुक्रवार 52 बार आता है। जिन्हें रंगों से दिक्कत है, वे घर से बाहर न निकलें।” इस बयान को लेकर सांप्रदायिक भावनाएं भड़काने का आरोप लगा था।
हालांकि, मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने उस बयान का समर्थन किया था और बाद में जांच में अनुज को क्लीन चिट मिल गई। इसके अलावा, पूर्व IPS अधिकारी अमिताभ ठाकुर ने भी उन पर धार्मिक आयोजनों में वर्दी पहनकर भाग लेने की शिकायत की थी, जिस पर उन्हें प्रशासनिक स्तर पर राहत मिली, लेकिन नैतिक सवाल आज भी बरकरार हैं।Anuj Chaudhary promotion
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जहां एक ओर अधिकारी को सम्मानित पद देने की तैयारी है, वहीं दूसरी ओर पीड़ितों को अभी तक न्याय नहीं मिला है। यह स्थिति न सिर्फ पुलिस की छवि पर असर डालती है, बल्कि जनता के न्याय प्रणाली पर विश्वास को भी डगमगाने वाली है। प्रशासन को यह सुनिश्चित करना होगा कि प्रमोशन प्रक्रिया न्यायिक समीक्षा से ऊपर न हो जाए। जब तक गंभीर आरोपों की जांच पूरी न हो, किसी अधिकारी को ऊंचे पद पर बैठाना, एक खतरनाक मिसाल बन सकता है।Anuj Chaudhary promotion
अनुज चौधरी की पदोन्नति एक तरफ उनकी प्रशासनिक उपलब्धि हो सकती है, लेकिन दूसरी ओर, इससे जुड़े विवाद यह याद दिलाते हैं कि न्याय और जवाबदेही को नज़रअंदाज़ नहीं किया जाना चाहिए। प्रशासन और सरकार को चाहिए कि वे संवेदनशीलता और निष्पक्षता के साथ निर्णय लें — जिससे जनता का विश्वास बना रहे।Anuj Chaudhary promotion
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