Indian peanut export ban: भारत के कृषि निर्यात को एक और बड़ा झटका तब लगा जब इंडोनेशिया ने भारतीय मूंगफली के आयात पर प्रतिबंध लगाने की घोषणा की। यह फैसला इंडोनेशिया के क्वारंटीन प्राधिकरण (IQA) द्वारा 27 अगस्त 2025 को जारी किया गया, जो 3 सितंबर 2025 से लागू होगा। प्रतिबंध का मुख्य कारण मूंगफली में एफ्लाटॉक्सिन की उच्च मात्रा पाई जाना है, जो एक विषैला और कैंसरकारी पदार्थ है।
यह पदार्थ गर्म और आर्द्र वातावरण में पनपने वाले एस्परगिलस नामक कवकों से उत्पन्न होता है और मानव स्वास्थ्य के लिए गंभीर खतरा पैदा करता है। इंडोनेशिया ने कोडेक्स एलिमेंटेरियस कमीशन (CAC) के मानकों को अपनाया है, जिसके अनुसार मूंगफली में एफ्लाटॉक्सिन की अधिकतम सीमा 15 पीपीबी तय की गई है। भारत से इंडोनेशिया को हर साल 2.25 लाख टन से अधिक मूंगफली निर्यात की जाती है, जिसकी कीमत लगभग 274 मिलियन डॉलर है।Indian peanut export ban
APEDA ने क्या कहा ?
यह प्रतिबंध ऐसे समय में आया है जब अमेरिका ने पहले ही भारतीय वस्तुओं पर 50% टैरिफ लगा दिया है, जिससे भारत नए बाजारों की तलाश में है। एपीडा (APEDA) ने इस स्थिति को गंभीरता से लेते हुए अगले सात दिनों तक इंडोनेशिया जाने वाली सभी मूंगफली शिपमेंट की कड़ी जाँच के आदेश दिए हैं।
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यदि किसी शिपमेंट में गुणवत्ता की कमी पाई जाती है, तो उसे रद्द कर दिया जाएगा। यह नियम तब तक लागू रहेगा जब तक IQA कोई नया निर्देश जारी नहीं करता। व्यापार सूत्रों के अनुसार, समस्या भारत की परीक्षण प्रयोगशालाओं में है, जिनमें कई बिना उचित उपकरणों के छोटे कमरों में संचालित हो रही हैं। Indian peanut export ban
जाने Indian peanut export ban की वजह
इंडोनेशियाई अधिकारियों ने चेन्नई स्थित एक प्रयोगशाला का दौरा किया और उसकी कार्यप्रणाली पर चिंता जताई। इससे पहले भी भारत को यूरोपीय संघ में एफ्लाटॉक्सिन की वजह से बाजार हिस्सेदारी गंवानी पड़ी थी, विशेष रूप से 2017 में बासमती चावल के निर्यात में। यह घटनाक्रम भारत के कृषि निर्यात क्षेत्र के लिए एक चेतावनी है कि गुणवत्ता मानकों की अनदेखी वैश्विक साख को नुकसान पहुँचा सकती है। अब समय है कि भारत अपनी प्रयोगशालाओं और निर्यात प्रक्रियाओं को अंतरराष्ट्रीय मानकों के अनुरूप बनाए, ताकि भविष्य में ऐसे प्रतिबंधों से बचा जा सके। Indian peanut export ban
सूत्र ने कहा कि भारत यूरोप को भी अच्छी मात्रा में मूंगफली का निर्यात कर रहा है। लेकिन, एफ्लाटॉक्सिन का मुद्दा सामने आया। इसके कारण भारत ने यूरोपीय संघ में अपनी पकड़ खो दी। सूत्र ने कहा, “2017 में बासमती चावल के निर्यात में भी यही समस्या देखी गई थी। इसके कारण यूरोपीय संघ में भारत की बाजार हिस्सेदारी कम हो गई।” उन्होंने कहा कि इंडोनेशिया मूंगफली में एफ्लाटॉक्सिन का मुद्दा बार-बार उठाता रहा है।
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