Putin Shahbaz meeting: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के चीन दौरे से लौटते ही एक अहम कूटनीतिक घटनाक्रम ने दक्षिण एशिया की रणनीतिक स्थिरता को चुनौती दे दी। मंगलवार को रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन और पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज़ शरीफ़ की मुलाक़ात ने भारत के लिए नई चिंताओं को जन्म दिया।
इस मुलाक़ात में पुतिन ने पाकिस्तान को “पारंपरिक साझेदार” कहकर संबोधित किया, जबकि शहबाज़ शरीफ़ ने रूस से मज़बूत संबंधों की इच्छा जताई। पुतिन की सहमति भरी प्रतिक्रिया ने संकेत दिया कि रूस अब दक्षिण एशिया में संतुलन की नई परिभाषा गढ़ सकता है।
इस घटनाक्रम ने भारत की विदेश नीति के सामने एक जटिल सवाल खड़ा कर दिया है—क्या रूस, चीन और पाकिस्तान का त्रिकोण भारत की रणनीतिक स्वायत्तता को चुनौती देगा? और क्या भारत को अपनी पारंपरिक साझेदारी की समीक्षा करनी होगी?
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बदलते समीकरण और भारत की चिंता
Prime Minister Narendra Modi के चीन दौरे से लौटते ही दक्षिण एशिया की कूटनीतिक हलचल तेज़ हो गई। रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन और पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज़ शरीफ़ की मुलाक़ात ने भारत की रणनीतिक स्थिरता को चुनौती दी है। इस मुलाक़ात में पुतिन ने पाकिस्तान को “पारंपरिक साझेदार” (traditional partner)कहकर संबोधित किया, जिससे भारत की विदेश नीति के सामने एक नया सवाल खड़ा हो गया है—क्या रूस अब दक्षिण एशिया में संतुलन की नई परिभाषा गढ़ रहा है?Putin Shahbaz meeting
त्रिकोणीय गठबंधन का खतरा Putin Shahbaz meeting
पाकिस्तान, रूस और चीन—तीनों देशों के बीच बढ़ती नज़दीकी भारत के लिए एक संभावित रणनीतिक संकट का संकेत देती है। भारत ने वर्षों तक रूस के साथ गहरे संबंध बनाए रखे हैं, लेकिन अब पाकिस्तान की रूस से बढ़ती दोस्ती भारत की संतुलनकारी भूमिका को कमजोर कर सकती है। अगर ये तीनों शक्तियाँ एक साथ आती हैं, तो भारत को यूरेशियन क्षेत्र में एक नए “Great Game” का सामना करना पड़ सकता है।
अमेरिका का दबाव और भारत की स्वायत्तता
अमेरिका लगातार भारत पर रूस से दूरी बनाने का दबाव डालता रहा है, लेकिन भारत ने अपनी रणनीतिक स्वायत्तता को बनाए रखा है। अब जब रूस पाकिस्तान से संबंध मज़बूत करने की बात कर रहा है, तो अमेरिका की असहजता और भारत की स्थिति और जटिल हो जाती है। अगर भारत रूस से दूरी बनाता है, तो इससे चीन और पाकिस्तान को एकजुट होने का और मौका मिल सकता है।Putin Shahbaz meeting
पुतिन की प्राथमिकता और भारत की भूमिका
रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन पिछले 25 वर्षों से सत्ता में हैं, लेकिन उन्होंने कभी पाकिस्तान का दौरा नहीं किया। यह दर्शाता है कि भारत रूस के लिए कितना महत्वपूर्ण रहा है। हालांकि, हालिया घटनाक्रम यह संकेत देता है कि रूस अब दक्षिण एशिया में संतुलन की नई रणनीति अपना सकता है। भारत को इस बदलते परिदृश्य में अपनी भूमिका को फिर से परिभाषित करना होगा।Putin Shahbaz meeting
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